पूर्व प्रधानमंत्री, महान अर्थशास्त्री, दूरदर्शी नेता, शिक्षक और मौन क्रांति के नायक डॉ. मनमोहन सिंह जी को शत-शत नमन।
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डॉ. मनमोहन सिंह: एक मौन क्रांति के महानायक
डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति के उन गिने-चुने नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने मौन रहकर बड़े परिवर्तन किए। वे न केवल एक कुशल अर्थशास्त्री थे, बल्कि एक संवेदनशील प्रशासक भी, जिनका हर निर्णय भारत के आम नागरिक की बेहतरी के लिए था। उनके प्रधानमंत्रित्व काल (2004-2014) में भारत ने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं।
डॉ. मनमोहन सिंह का दृष्टिकोण: अधिकार आधारित शासन प्रणाली
डॉ. सिंह का मानना था कि एक सशक्त लोकतंत्र में हर नागरिक को अपनी गरिमा के साथ जीने का अधिकार मिलना चाहिए। उनके शासनकाल में सूचना, शिक्षा, भोजन, रोजगार, और वनाधिकार जैसे अधिकारों ने भारत के नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई।
1. सूचना का अधिकार (RTI)
2005 में लागू हुआ सूचना का अधिकार अधिनियम भारतीय लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का एक ऐतिहासिक कदम था।
- इस कानून ने नागरिकों को सरकारी दस्तावेजों और कार्यशैली की जानकारी लेने का अधिकार दिया।
- भ्रष्टाचार और दुरुपयोग की रोकथाम में यह अत्यधिक प्रभावी रहा।
- पंचायत स्तर से लेकर केंद्रीय सरकार तक जवाबदेही सुनिश्चित हुई।
हालाँकि, वर्तमान में इस अधिकार की धार कमजोर कर दी गई है, लेकिन इसकी शुरुआत ने लोकतंत्र को अधिक सशक्त बनाया।
2. शिक्षा का अधिकार (RTE)
2009 में लागू हुए इस अधिनियम ने 6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया।
- वंचित तबकों के लिए यह कानून वरदान साबित हुआ।
- हर दो किलोमीटर पर स्कूल खोलने की नीति ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का व्यापक प्रसार किया।
- इस कानून ने पहली बार शिक्षा को हर बच्चे का कानूनी अधिकार बनाया, जिससे सामाजिक असमानता कम हुई।
- आज लाखों बच्चे, जो पहले शिक्षा से वंचित थे, स्कूल और कॉलेज पहुँच पाए हैं।
3. भोजन का अधिकार
2013 में पारित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम ने भारतीय गरीबों को भूख से सुरक्षा प्रदान की।
- यह कानून 75% ग्रामीण और 50% शहरी आबादी को रियायती दरों पर अनाज उपलब्ध कराता है।
- कोरोना महामारी जैसे कठिन दौर में इस योजना ने करोड़ों परिवारों को भोजन की गारंटी दी।
- यह योजना गरीबों के लिए जीवनरेखा साबित हुई है और आज भी इसकी प्रासंगिकता बरकरार है।
4. काम का अधिकार (मनरेगा)
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) 2005 में शुरू हुआ और यह दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार योजनाओं में से एक है।
- हर ग्रामीण परिवार को साल में कम से कम 100 दिन का काम सुनिश्चित किया गया।
- ग्रामीण मजदूरों को वाजिब मेहनताना दिलाने और पलायन रोकने में यह योजना सफल रही।
- योजना में भ्रष्टाचार की शिकायतें आईं, लेकिन इसके बावजूद यह गरीबों के लिए वरदान साबित हुई।
5. वनाधिकार अधिनियम (FRA)
2006 में लागू हुए वनाधिकार अधिनियम ने आदिवासियों और वनवासियों को वनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों की कानूनी मान्यता दी।
- इस कानून ने आदिवासी समुदायों को भूमि और संसाधनों पर स्वामित्व प्रदान किया।
- यह अधिकार आदिवासियों के जीवन को स्थायित्व और सुरक्षा प्रदान करता है।
हालाँकि, इसे प्रभावी तरीके से लागू कराने में अभी भी चुनौतियाँ हैं, लेकिन इसकी संभावनाएँ बहुत बड़ी हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह की उपलब्धियाँ: मौन क्रांति का प्रतीक
डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल को एक "मौन क्रांति" कहा जा सकता है, जहाँ बिना शोर-शराबे के देश को अधिकार आधारित शासन प्रणाली की ओर अग्रसर किया गया।
- आर्थिक प्रगति: उनके नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था ने 7-8% की औसत वृद्धि दर हासिल की।
- सामाजिक न्याय: उनके द्वारा शुरू किए गए अधिकार और योजनाएँ समाज के हाशिये पर खड़े लोगों को मुख्यधारा में लाने का साधन बनीं।
- विदेश नीति: अमेरिका-भारत परमाणु समझौता उनकी विदेश नीति की बड़ी उपलब्धि रही।
- लोकतांत्रिक मूल्य: उनकी नीतियों और नेतृत्व ने लोकतंत्र को अधिक सहभागी और जवाबदेह बनाया।
चुनौतियाँ और आलोचनाएँ
- उनके शांत और सौम्य व्यक्तित्व को लेकर आलोचकों ने उन्हें "कमजोर प्रधानमंत्री" कहा।
- अन्ना आंदोलन और भ्रष्टाचार के आरोपों ने उनकी छवि को धूमिल किया।
- गठबंधन सरकार की मजबूरियों ने कई मौकों पर उनके फैसलों को कमजोर किया।
इसके बावजूद, उनकी उपलब्धियाँ इतनी व्यापक और गहरी थीं कि उनका महत्व समय के साथ और अधिक स्पष्ट हुआ।
निष्कर्ष: भारतीय इतिहास का सुनहरा दौर
डॉ. मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्रित्व काल भारतीय लोकतंत्र के सबसे सुनहरे दौरों में से एक था। उन्होंने बिना शोर मचाए भारत के नागरिकों को वह सशक्तिकरण दिया, जिसकी कल्पना एक सच्चे लोकतंत्र में की जाती है।
आज, जब हम उनकी नीतियों के दूरगामी प्रभाव को देखते हैं, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि वे भारत के "अधिकारों के संरक्षक" और "मौन क्रांति के महानायक" थे।
पूर्व प्रधानमंत्री, महान अर्थशास्त्री, दूरदर्शी नेता, शिक्षक और मौन क्रांति के नायक डॉ. मनमोहन सिंह जी को शत-शत नमन।
आपकी विनम्रता, दूरदर्शिता, और सेवा भावना हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेंगी।
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