ग्रीन क्रिसमस: भावी पीढ़ी के लिए अपनी आवाज़ उठाएँ

ग्रीन क्रिसमस: कृत्रिम पेड़ों की जगह जीवित पेड़ों का चयन कर पर्यावरण सुरक्षा, संरक्षा और संवर्धन में योगदान दें!

क्रिसमस, जिसे हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है, न केवल एक धार्मिक त्योहार है बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक भी बन सकता है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण परंपरा है 'क्रिसमस ट्री'। लेकिन क्या हम जानते हैं कि इस परंपरा का पर्यावरण और सामाजिक दृष्टिकोण से क्या प्रभाव पड़ता है?

आज हमें कृत्रिम (सिंथेटिक) पेड़ों की जगह जीवित (रियल) पेड़ों का चयन कर इस त्योहार को 'हरित' बनाने की आवश्यकता है।

क्रिसमस ट्री का भारतीय और वैश्विक बाजार पर प्रभाव

अंतरराष्ट्रीय बाजार

वैश्विक क्रिसमस ट्री उद्योग 2023 में ₹44,500 करोड़ (US $5.3 बिलियन) का था।

  • कृत्रिम पेड़ों की हिस्सेदारी: ₹26,700 करोड़ (60%)
  • जीवित पेड़ों की हिस्सेदारी: ₹17,800 करोड़ (40%)

भारत में क्रिसमस ट्री का बाजार

भारत में यह त्योहार तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

  • भारतीय बाजार का कुल मूल्य ₹100 करोड़ से अधिक है।
  • कृत्रिम पेड़ों का योगदान: ₹70 करोड़ (70%)
  • जीवित पेड़ों का बाजार: ₹30 करोड़ (30%)

पर्यावरणीय प्रभाव: कृत्रिम बनाम वास्तविक पेड़

1. कृत्रिम पेड़

  • उत्पादन प्रक्रिया: PVC (पॉलीविनाइल क्लोराइड) और धातु से बने कृत्रिम पेड़ों के निर्माण में 10-20 किलोग्राम CO₂ उत्सर्जन होता है।
  • स्थायित्व: यह पेड़ उपयोग के बाद पर्यावरण में 500-1000 साल तक बना रहता है।
  • कचरा बढ़ाना: भारत में प्लास्टिक कचरे में सालाना 3% वृद्धि हो रही है।

2. जीवित पेड़

  • कार्बन अवशोषण: एक जीवित पेड़ अपने जीवनकाल में 10 किलोग्राम CO₂ अवशोषित करता है।
  • बायोडिग्रेडेबल: उपयोग के बाद इसे खाद में बदला जा सकता है।
  • स्थानीय रोजगार: जीवित पेड़ों की खेती से किसानों को औसतन ₹200-₹500 प्रति पेड़ का लाभ होता है।

भारतीय सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

स्थानीय रोजगार और पर्यावरण संरक्षण

भारत के केरल, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में किसान और छोटे व्यापारी जीवित पेड़ों की खेती से लाभान्वित हो सकते हैं।

  • हर साल लगभग 10,000 ग्रामीण नौकरियां पैदा होती हैं।
  • क्रिसमस के मौसम में इस खेती से किसानों की आय में वृद्धि होती है।

प्लास्टिक कचरा कम करना

भारत हर साल 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है। जीवित पेड़ों का उपयोग करके इस समस्या को कम किया जा सकता है।

ग्रीन क्रिसमस की ओर आपका कदम

1. स्थानीय पेड़ों का चयन करें

अपने नजदीकी बाजारों से उपलब्ध जीवित पेड़ों को खरीदें। यह पर्यावरण संरक्षण के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगा।

2. पुनः रोपण करें

क्रिसमस के बाद इन पेड़ों को फिर से रोपित करें। यह वनीकरण और प्राकृतिक संतुलन में मदद करेगा।

3. जागरूकता अभियान चलाएं

स्कूलों, चर्च और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर 'ग्रीन क्रिसमस' अभियान चलाएं।

अंतरराष्ट्रीय प्रथाएं और भारतीय भविष्य

कनाडा, अमेरिका और यूरोपीय देशों में अब कृत्रिम पेड़ों के स्थान पर जीवित पेड़ों का चलन बढ़ रहा है। भारत में भी,

  • नागालैंड और मिज़ोरम में स्थानीय समुदाय प्राकृतिक पेड़ों के पक्षधर हैं।
  • बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली जैसे शहरी क्षेत्रों में जैविक और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों की मांग बढ़ रही है।

निष्कर्ष

क्रिसमस का त्योहार हमें न केवल खुशी और उत्साह का संदेश देता है, बल्कि पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी की याद भी दिलाता है।
"हरित क्रिसमस के लिए कृत्रिम पेड़ों की जगह जीवित पेड़ अपनाएं, प्रकृति की सुरक्षा करें और भविष्य की पीढ़ियों को हरा-भरा उपहार दें।"

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