गुरु पूर्णिमा एक ऐसा विशेष दिन है जब हम अपने गुरुओं के प्रति आभार और सम्मान प्रकट करते हैं। इस दिन, हम उन महान शिक्षकों को याद करते हैं जिन्होंने हमारे जीवन को दिशा और मार्गदर्शन प्रदान किया है। इस अवसर पर, मैं अपने सभी गुरुओं का दिल से अभिनंदन करता हूँ जिन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय एटा से लेकर मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद तक मेरे जीवन में नव उदय किया है, और उन्हें बारंबार नमन करता हूँ जिन्होंने मुझे यहाँ तक पहुँचने के काबिल बनाया है, और प्रथम नमन उनको जिन्होंने मुझे जन्म दिया, और सम्मानजनक जीवन जीने के लिए आवश्यक अवयव, आत्मीयता, अपनत्व, साहस, सहयोग और साधन- संसाधन उपलब्ध कराएं हैं।
गुरु पूर्णिमा का पर्व केवल शिक्षकों के प्रति आदर का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह दिन हमें हमारे गुरु-शिष्य परंपरा की याद दिलाता है, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और हमारी नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
जवाहर नवोदय विद्यालय एटा में बिताए गए मेरे वर्षों ने न केवल मेरे शैक्षिक ज्ञान को बढ़ाया, बल्कि मेरे जीवन के हर पहलू को संवारने में मदद की। एक छोटे से गाँव की मिट्टी के ढेले को राष्ट्रनिर्माण के योग्य सामग्री में रूपांतरित करने का श्रेय मेरे गुरुओं को ही जाता है। आपने न केवल हमें पाठ्यक्रम की शिक्षा दी, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों और सिद्धांतों को भी हमारे भीतर रोपित किया है।
आप गुरुजनों ने हमें सिखाया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना नहीं है, बल्कि यह है कि हम जीवन में एक बेहतर इंसान बन सकें। उन्होंने हमें नैतिकता, ईमानदारी, और परिश्रम के महत्व को समझाया। उन्होंने हमें यह सिखाया कि ज्ञान का सही उपयोग ही सच्ची शिक्षा है।
आपकी प्रेरणा और मार्गदर्शन ने मुझे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
आपने मुझे यह सिखाया कि कठिनाइयों का सामना कैसे करना है और हर चुनौती को अवसर में कैसे बदलना है! आपकी शिक्षाओं ने मुझे आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाया। आपने मुझे यह महसूस कराया कि हम चाहे किसी भी परिस्थिति में क्यों न हों, अगर हमारे पास दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत का जज़्बा है, तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं।
आप गुरुओं ने मेरे अंदर छुपी प्रतिभाओं को पहचाना और उन्हें निखारने में मेरी मदद की। मेरे गुण, स्वभाव, चिंतन और व्यवहार में परिवर्तन किया। आपने मुझे हर संभव अवसर प्रदान किया ताकि मैं अपने कौशल और क्षमताओं को उभार सकूं। आप के मार्गदर्शन में मैंने न केवल शैक्षणिक क्षेत्र में, बल्कि खेल, कला, साहित्य, काव्य आदि अन्य सह-शैक्षणिक गतिविधियों में भी उत्कृष्टता प्राप्त की।
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी में आप गुरुओं की शिक्षाएं केवल कक्षा तक सीमित नहीं थीं। आपने हमें जीवन के हर पहलू में सही मार्गदर्शन दिया। चाहे वह व्यक्तिगत समस्याएं हों, करियर संबंधी सलाह हो, या समाज में हमारी जिम्मेदारियों का निर्वाहन हो, आपने हमेशा सही मार्ग दिखाया। आपके सानिध्य में मैंने जीवन की सच्ची शिक्षा पाई और एक अच्छे नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करना सीखा।
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद में अध्ययन के दौरान सन 2012 में मुझे मेरे जीवन का उद्देश्य - माँ गंगा का शुद्धिकरण, और उद्देश्य प्राप्ति के लिए राजनीति का मार्ग" मिला! वैज्ञानिक बनने का बचपन का सपना छोड़कर तत्कालीन परिस्थितियों में जीवन उद्देश्य की प्राप्ति हेतु राजनीति के नवीन और दुर्गम मार्ग को स्वीकार करना मेरे लिए बहुत अज़ीब था... क्योंकि यह मेरी उस समय तक की मानसिक अवस्था, सोच, समझ, चिंतन, चरित्र, व्यवहार, गुण, कर्म, स्वभाव, पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के बिल्कुल प्रतिकूल ही था...परंतु आप गुरुओं के उचित मार्गदर्शन ने मुझे न केवल हौसला दिया, बल्कि जीवन उद्देश्य - माँ गंगा के शुद्धिकरण के निमित्त राजनीति के भयानक रास्ते की रुकावटों, और विभिन्न पड़ावों से अवगत कराया, और मुझे धैर्य, सहनशीलता, विनम्रता, सहृदयता, निरंतरता, सामाजिकता, भाषण-कला, नेतृत्वकला, संगठन रचना आदि आवश्यक गुणों के महत्त्व को रेखांकित किया...जिनकी बदौलत मैं निरंतर अग्रसर हूँ....और हम आज फिर कहते हैं कि
"हम राजनीति में राज करने नहीं आए हैं, बल्कि हम गन्दी हो चुकी राजनीति को साफ़ करने आये हैं | हम कलुषित होकर मंद पड़ चुकी गंगा-यमुना की धारा और राजनीति की सरिता को निर्मल, निर्बाध और दुर्गन्ध रहित करने आये हैं। यही हमारा राष्ट्र धर्म है, यही हमारा जीवन उद्देश्य है।"
आज जब मैं अपने जीवन की इस यात्रा को देखता हूँ, तो मुझे स्पष्ट रूप से महसूस होता है कि मेरे गुरुओं का योगदान मेरी सफलता में कितना महत्वपूर्ण रहा है।
आपने मेरे जीवन को न केवल संवारा, बल्कि उसे एक उद्देश्य और दिशा दी है...
जिनमें मेरे आध्यात्मिक गुरु पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी (संस्थापक, शांतिकुंज हरिद्वार) की पुस्तकों, दिव्य प्रेरणाओं और अतीन्द्रिय अनुभवों की महती भूमिका है! उनके बिना, मैं वह व्यक्ति नहीं बन पाता जो आज हूँ।
गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर, मैं अपने सभी गुरुओं को कोटि-कोटि नमन करता हूँ। आपका आशीर्वाद और मार्गदर्शन हमेशा मेरे साथ है और रहेगा। आपने मुझे जो शिक्षा और प्रेरणा दी है, उसे मैं जीवनभर अपने दिल में संजोकर रखूँगा और आपकी शिक्षाओं के अनुरूप अपने जीवन को ढालने का हर संभव प्रयास करूँगा।
आपने मुझे न केवल एक बेहतर छात्र, बल्कि एक बेहतर इंसान बनाया। आपके द्वारा दी गई शिक्षाएं और मूल्य मेरे जीवन की नींव बन गए हैं। आपकी कृपा से ही मैं आज यहाँ खड़ा हूँ और जीवन में आने वाली हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हूँ। आपके प्रति मेरा सम्मान और आभार शब्दों में बयां करना मुश्किल है, लेकिन फिर भी, इस गुरु पूर्णिमा पर, मैं आपके प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता प्रकट करना चाहता हूँ।
आपके बिना मेरा जीवन अधूरा होता। आपने मुझे शिक्षा की सही राह दिखाई और जीवन की सच्चाईयों से परिचित कराया। आपके मार्गदर्शन में मैंने अपने सपनों को पंख दिए और उन्हें साकार करने का साहस पाया। आपके सिखाए गए मूल्य और सिद्धांत हमेशा मेरे मार्गदर्शक रहेंगे और मुझे जीवन में सही दिशा दिखाते रहेंगे।
गुरु पूर्णिमा के इस शुभ अवसर पर, मैं पुनः आप सभी गुरुओं का हृदय से अभिनंदन करता हूँ। आप सभी ने मेरे जीवन में जो बदलाव लाए हैं, उसके लिए मैं हमेशा आपका ऋणी रहूँगा। आपकी शिक्षाएं और आपका आशीर्वाद हमेशा मेरी प्रेरणा स्रोत रहेंगे। आप सभी को कोटि-कोटि नमन!
"गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा,
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः"
इंजी. देवेन्द्र सिंह (देव इंडिया)
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